Saturday, September 16, 2017

योगीराज में पिटनेवाली पुलिस इनकाउंटर भी कर सकती है?

सरकार में आने से पहले योगी आदित्यनाथ और बीजेपी ने अखिलेश राज की बिगड़ी क़ानून व्यवस्था को मुद्दा बनाया था। दम भरा था कि सरकार में आते ही सब बदल देंगे। गुंडे-माफिया यूपी छोड़कर भाग जाएंगे। लेकिन हुआ इसके उलट। गुंड-मवाली थाने में घुसकर पुलिसवालों को पीटते हैं। हद तो तब हो गई जब बिजनौर में ऑन ड्यूटी रोड पर एक सब इंस्पेक्टर का गला काट दिया गया। क़ानून का ख़ौफ़ कितना है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाइए कि सड़क पर भी लोग खाकीवालों को गिरा-गिराकर मारने से नहीं डरते। पुलिस की बस वहीं चलती है, जो ग़रीब हैं या फिर जिनकी कोई पहुंच नहीं है। सरकारी आंकड़ों में ना तो मर्डर कम हुए हैं। ना रेप की संख्या में गिरावट आई है। ना डाका पडना कमा हुआ है और ना ही दंगे फसादों में कमी आई है।


मज़े की बात है कि मोदी के मंत्री इन बढ़ते आंकड़ों पर बेशर्मी भरे बयान दे रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि पहले की सरकारों में थानों में शिकायत ही दर्ज नहीं होती थी। इसलिए अपराध के आंकड़े कम दिखाई देते हैं। अब योगीराज में हर किसी की सुनवाई होती है। इसलिए अपराधों की संख्या ज़्यादा दिखलाई देती है। इस तरह का कुतर्क करनेवाले मंत्री भूल जाते हैं कि यूपी में केवल अखिलेश, मायावती और मुलायम की ही सरकारें नहीं रही हैं। रामबाबू गुप्ता, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की भी सरकारें रही हैं।

ख़ैर आलम ये है कि कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हांफ रहे हैं। उधर उनकी पुलिस भी हांफ रही है। अपराधियों के डर से और अपनी पीठ थपथपाने के लिए आंकड़ों की बाज़ीगरी दिखाने में। यूपी पुलिस दावा कर रही है कि पिछले 6 महीने में यानी योगीराज में अपराधी थर-थर कांपने लगे हैं। उन्हें डर है कि पुलिस कहीं सड़क पर ही इंसाफ ना कर दे। छंटे हुए बदमाशों को इनकाउंटर में मारकर ना गिरा दे। दावा किया जा रहा है कि सीएम योगी के निर्देश के बाद पिछले 6 महीने में मुठभेड़ में 15 इनामी अपराधियों को मार गिराया। वहीं 84 अपराधी गोली लगने से घायल हुए। सीएम के इसी निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पुलिस अपराधियों पर कहर बनकर टूटी है।
लेकिन सच्चाई ये है कि प्रदेश में बढ़ते अपराध ने आम जनमानस का जीना दुश्वार कर रखा है। कई सरकारें आई और गई। लेकिन राहत नहीं मिली। बस मुलम्मा बदलता रहा। सच ये भी है कि पहले की किसी भी सरकारों ने इनकाउंटर की खुली छूट नहीं दी गई। लेकिन अब इनकाउंटर की छूट है।

20 मार्च से 14 सितंबर तक के यूपी पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो अपराधियों के साथ पुलिस की कुल 420 मुठभेड़ हुई है। इनमे शामली में 4, आजमगढ़ में 3, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में 2-2 अपराधी मारे गए है। मेरठ में सबसे ज़्यादा 9 अपराधी मारे गए है। जिसके बाद अपराधियों में दहशत फैल गई है। राजधानी में हुई एक मुठभेड़ में भी इनामी बदमाश मारा गया। इस दौरान 88 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। योगी सरकार के करीब 6 माह के कार्यकाल में 1106 अपराधी गिरफ्तार किए गए, जिनमें 868 कुख्यात अपराधी हैं। अब तक 54 अपराधियों पर रासुका और 69 पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। बहरहाल, आंकड़े तो चीख चीखकर कह रहे हैं कि यूपी में क़ानून व्यवस्था की मौजूदा हालत द्रौपदी की तरह ही है।