हमारे संविधान ने
संसद या विधानसभा में जाने के लिए दो ही रास्ते दिए हैं। संसद के लिए लोकसभा और
राज्यसभा और राज्यों में विधानसभा और विधान परिषद। लोकसभा और विधानसभा के लिए जनता
अपना सांसद और विधायक चुनती है। जबकि राज्यसभा के लिए राज्यों के विधायक और विधान परिषद
के लिए राज्यों में अलग अलग नियम हैं। यूपी विधान परिषद के लिए नगरपालिकाओं के
सदस्य, जिला बोर्डों, दूसरे प्राधिकरणों के सदस्यों और शैक्षिक
संस्थाओं आदि से जुड़े लोग एमएलसी चुनते हैं। विधानपरिषद और राज्यसभा को अपर हाउस
कहा जाता है। लेकिन राजनीति में इसे चोर दरवाज़ा कहते हैं। ये माना गया है कि जिस
नेता की ज़मीनी पकड़ नहीं है या वो लोकप्रिय नहीं है तो उसकी पार्टी उसे पिछले या
चोर दरवाज़े से सदस्य बनवाती है।
अब आते हैं
मुद्दे की बात पर। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्रियों केशव
मौर्या और दिनेश शर्मा, मंत्री मोहसिन रज़ा और स्वतंत्र देव सिंह एमलएसी चुन लिए
गए। इसके लिए कुछ सपाइयों को तोड़ना पड़ा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये खेल
क्यों खेला गया? बीजेपी ने अपने बड़े
नेताओं के लिए चोर दरवाज़ा क्यों खोला? राजनीति के
जानकार बताते हैं कि विभिन्न सूत्रों से बीजेपी की मातृ संगठन आरएसएस के पास
पुख़्ता जानकारी है कि तीन सालों में केवल बातें बनाकर नरेंद्र और अमित शाह ने
जनता का मूड खराब कर दिया है। यूपी एक बड़ा राज्य है। वहीं मोदी और शाह के गृह
राज्य में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। पटेलों और हार्दिक पटेल समेत आप ने हवा
ख़राब कर रखी है। ऐसे में अगर योगी, मौर्या या शर्मा चुनाव हार जाते तो बड़ा रिस्क
हो जाता। देश में गंदा संदेश जाता है। इसलिए इन्हें पिछले दरवाजे से लाया गया। यही
नहीं लंबे समय तक गुजरात में मोदी के गृह मंत्री रहे अमित शाह को भी आनेवाले
विधानसभा चुनाव में लड़ने रोका गया। उन्हें भी चोर दरवाज़े से राज्यसभा लाया गया।
राजनीति के
जानकारों में ये चर्चा का विषय है कि 2014 लोकसभा चुनाव में 80 में से 73 सीटें
जीतने वाली बीजेपी अब लोकसभा की एक सीट पर भी चुनाव लड़ने से क्यों बचना चाहती है।
वहीं, विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद 5 विधानसभा
सीटों पर चुनाव लड़ने से क्यों डर रही थी। सूत्रों का कहना है कि गुजरात चुनाव से
पहले किसी भी सूरत में बीजेपी माहौल खराब नहीं करना चाहती है यही वजह है कि बीजेपी
के तमाम दिग्गज जनसेवक किसी भी चुनाव से भाग रहे है।
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