आज हम
बात करेंगे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अमेरिका में दिए गए साफगोई से।
राहुल गांधी ने पहली बार माना कि साल 2012 के आसपास कांग्रेस दंभ में चूर थी।
इसलिए सत्ता पंजे से फिसल गई। राहुल जिस समय की बात कर रहे हैं, जब दौरान सोनिया की पार्टी पर मजबूत
पकड़ थी। उन्होने साफ कहा कि पार्टी में पूरी तरह से फेरबदल करने की ज़रुरत है।
राहुल की साफगोई देखिए कि साफ कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत हुनरमंद है। वो बोलते बहुच
अच्छा है। वो उनसे भी बेहतर बोलते हैं। वो
जानते हैं कि भीड़ में जो तीन-चार तरह के अलग-अलग समूह हैं उन तक संदेश को कैसे
पहुंचाया जाए। इस वजह से उनका संदेश ज्यादा लोगों तक पहुंच पाता है। इसके बाद
राहुल ने मोदी पर चुटकी भी ली। राहुल गांधी ने नोटबंदी के फैसले की जमकर निंदा की।
राहुल ने बताया कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में 2 फीसद की गिरावट आई। भारत में नई
नौकरियां बिलकुल पैदा नहीं हो रही हैं। वहीं आर्थिक विकास की रफ्तार भी नहीं बढ़
रही है। अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए कुछ गलत फैसलों की वजह से किसानों की
आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। राहुल ने ये भी कहा कि आज के दौर में नफरत और
हिंसा की राजनीति हो रही है।
लेकिन
यही बात बीजेपी को नागवार गुज़री। मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे देश के अपमान से
जोड़ दिया। कहने लगीं कि राहुल ने विदेश की धरती पर ये सब बोलकर भारत की नाक कटवा
दी। वो भूल गए कि वोटर तो भारतीय ही हैं। वंशवाद को लेकर राहुल गांधी के आरोपों का
जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि उनकी पार्टी में परिवारवाद नहीं है। लेकिन
राहुल का ये अमेरिका दौरा एक असफल वंश के तौर पर देखा जाना चाहिए।
राहुल
के जीएसटी और नोटबंदी पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि 'कांग्रेस के नेतृत्व में जीएसटी की
विफलता इस बात का संकेत थी कि कांग्रेस ने किसी भी राजनीतिक दल को विश्वास में
नहीं लिया और न ही राज्यों का विश्वास जीत पाई। अगर राहुल गांधी सुनने के आदी होते
तो जीएसटी यूपीए सरकार में ही लागू हो जाता। मैंने दोनों पक्षों की बात आपके सामने
रखी। अगर पोस्टमार्टम करें तो कहीं से भी राहुल गलत नहीं दिखते। उन्होंने सही कहा
कि सत्ता में रहने पर घमंड आ जाता है। ये बात उन पर लागू होती है और आने वाली सरकारों
पर भी।
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