Tuesday, November 7, 2017

एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर को कैश कराने में नाकाम दिखे राहुल बाबा

कांग्रेस के होनेवाले नए अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में फिर वहीं ग़लती दोहराई है, जो अब तक वो करते आए हैं। उनके पास शानदार मौक़ा था कि वो मोदी के गढ़ में ही बीजेपी को चित्त कर सकते थे। लेकिन ड्राइंगरूम पॉलिटिक्स करनेवाले उनके सलाहकारों ने उन्हें सही सलाह नहीं दी। लिहाज़ा गुजरात में मोदी की ग़ैरहाज़िरी में जो लड़ाई विजय रुपानी बनाम कांग्रेसी मुख्यमंत्री के दावेदार के बीच होना चाहिए था, वो नहीं हो पाई। ये लड़ाई राहुल बनाम मोदी की होकर रह गई। गुजरात की जनता की उन्हें मोदी और राहुल में से किसी एक को चुनना हो तो वो गुजराती अस्मिता मोदी को पसंद करेंगे।

राहुल ने क़दम-क़दम पर ग़लती की। उन्हें जैन समाज से आने वाले रुपाणी के खिलाफ भरत सिंह सोलंकी का चेहरा पेश कर देना चाहिए था। गुजरात में जैनों की आबादी लगभग एक फीसदी है। जबकि सोलंकी कोल जाति से आते हैं। इस जाति के 10 फीसदी मतदाता है। सोलंकी के पिता माधव सिंह सोलंकी सूबे के सीएम रह चुके हैं। इसका फायदा राहुल उठा सकते थे। लेकिन चूक गए।
गुजरात में कांग्रेस अपने प्रचार में पहली मर्तबा बेहद आक्रामक है। उसने लड़ाई को हार्डऔर सॉफ्टहिंदुत्व के चौसर पर लाकर टिका दिया है। ये समझदारी भरी राजनीति है। राहुल ने विकास पागल हो गया है का नारा देकर भी बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया था। उनके भाषण और अंदाज़ से पहली बार ये संदेश गया कि राहुल समझदार हो गए हैं। वो सुलझे हुए नेता की तरह बर्ताव कर रहे हैं। इसलिए सरसरी तौर पर प्रचार के मामले में कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देती दिख रही है। अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक पटेल के साथ होने के बावजूद कांग्रेस सत्ता से दूर खड़ी दिखाई पड़ती है। क्योंकि एक के बाद एक चूक ने बीजेपी को आगे निकलने का मौक़ा दे दिया।
बीजेपी ने इस चुनाव को विकासकी जगहविश्वासको चुनने का नारा दे दिया। 182 सीटों वाली गुजरात विधान सभा में कांग्रेस के फिलहाल 43 एमएलए हैं। उसके 15 एमएलए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी के पाले में चले गए थे। इनमें 10 ऐसे हैं जो अपनी हैसियत से चुनाव जीतते हैं। ये सच है कि बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। जीएसटी की वजह से कारोबारियों में ग़ुस्सा है। आरक्षण को लेकर पाटीदार अलग से ख़फा है। दो दर्जन से ज़्यादा सीटों पर पाटीदार उम्मीदवारों का नसीब लिखते हैं। लेकिन राहुल यहां भी चुके।

मध्य गुजरात के अहमदाबाद में 21, सौराष्ट्र के राजकोट में 11, पूर्वी गुजरात के वड़ोदरा में 13, दक्षिण गुजरात के सूरत में 18 सीटें हैं। कभी इन इलाक़ों में बीजेपी का जीत का आंकड़ा लगभग 90 फीसदी के ऊपर था। इन 63 सीटों में से कांग्रेस केवल दो पर जीती थी। ये अलग बात है कि ये दोनों विधायक बाद में बीजेपी में चले गए। या यूं कहें कि कांग्रेस उन्हें थामकर नहीं रोक पाई।
गुजरात में 72 शहरी सीटें हैं। इस इलाके में लोग बीजेपी से बेहद नाराज हैं। लेकिन शहर में कांग्रेस का संगठन लुंज-पुंज है। लोग वोट देने को तैयार बैठे थे। लेकिन लेनेवाला कोई नहीं मिला। पिछली बार 27 आदिवासी सीटों में से बीजेपी 13 पर जीत पाई थी। दलितों के लिए आरक्षित सभी 13 सीटें भी जीत गई थी।

कांग्रेस के पास 182 में से सिर्फ 110 पर ही कुछ कर दिखाने की कूवत है। जिस तरह हार्दिक पटेल की शर्तें कांग्रेस पर लादी जा रही हैं। उस तरह वो एक पिछलग्गू पार्टी के रूप में दिख रही है। शहर की सीटों पर पाटीदारों का कोई रोल नहीं हैं। हां, इतना कहा जा सकता है कि ये चुनाव राहुल को बहुत सारे ऐसे अनुभव देकर जाएगा, जो अगले लोकसभा चुनाव के समय उन्हें मदद देगा।

Saturday, November 4, 2017

राहुल को घेरने में मोदी-शाह के छूटे पसीने

जैसे-जैसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव की बेला नज़दीक आती जा रही है, वैसे-वैसे नेताओं की ज़ुबान कैंची की तरह चलने लगी है। नए जोश और नए तेवर के साथ नया अवतार ले चुके कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को थामने के लिए एक साथ बीजेपी के दो बड़े नेता पिल पड़े हैं। राहुल का मुक़ाबला करने में अमित शाह और नरेंद्र मोदी के पसीने छूट रहे हैं। क्योंकि इस बार के प्रचार में राहुल भी ठीक उसी तरह से जुमलेबाज़ी कर रहे हैं, जैसा कि लोकसभा और दूसरे चुनावों में मोदी करते आए हैं। अपने ज़ुमलों की वजह से ही मोदी पॉपुलर हुए। हालांकि राहुल के इस अंदाज़ से आलोचकों का कहना है कि इससे राहुल की छवि खराब होगी। उन्हें अब भी उसी तरह से बोलना चाहिए, जिसके लिए वो जाने जाते हैं।

ख़ैर, जीएसटी और गब्बर सिंह टैक्स और गुजरात में विकास पागल हो गया है का नारा देकर राहुल ने बीजेपी को और हमलावर बना दिया है। राहुल फिर एक नया जुमला लेकर सामने आए। उन्होंने एक वेबसाइट की खबर को शेयर करते हुए लिखा कि शाह-जादा की अपार सफलता के बाद बीजेपी की नई पेशकश अजित शौर्य गाथा। वेबसाइट में दावा किया कि अजित डोभाल के बेटे शौर्य की संस्था इंडिया फाउंडेशन’ में बड़े केंद्रीय मंत्री डायरेक्टर हैं और उन्हें देशी-विदेशी कंपनियों से मदद मिलती है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि संस्थान के मंच पर बड़े कारोबारीकेंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मिलते-जुलते हैं। इंडिया फाउंडेशन’ को शौर्य डोभालऔर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव चलाते हैं। साथ ही इसके निदेशक मंडल में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमणवाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के अलावा विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर भी शामिल हैं।
वहीं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात में आरोप लगाया कि कांग्रेस विकास का मज़ाक उड़ा रही है। जबकि विकास पार्टी के मिज़ाज में है। राहुल गांधी एनजीओ के फर्ज़ी आंकड़े लेकर गुजरात को बदनाम कर रहे हैं। शाह ने चैलेंज किया कि जो अमेठी का विकास ना कर पाया हो, उसे दूसरे से विकास का हिसाब मांगने का हक़ नहीं। वहीं हिमाचल में दो दिनों के लिए डेरा डंडा गाड़कर बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल को निशाने पर लिया। मोदी ने दम भरा कि दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है। ये बात कांग्रेस को हज़म नहीं हो रही। जिसने 70 सालों तक केवल भ्रष्टाचार किया हो, उसे विकास की बात कैसे हज़म होगी। इसलिए अगर हिमाचल का विकास करना है तो बीजेपी को प्रचंड बहमुत दें। जैसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी और प्रेम कुमार धूमल की जोड़ी ने विकास किया तो अब मोदी और धूमल की जोड़ी विकास करेगी। उन्होंने कहा, “हम देश को लूटने वाले लोगों का चुन-चुन कर हिसाब करने में लगे हुए हैं।सुंदर नगर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि यह चुनाव राज्य में न केवल एक सरकार गठन के लिए है बल्कि यह चुनाव भव्य और दिव्य हिमाचल के निर्माण के लिए है।

पीएम ने हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब देशभर के अखबारों में 2जी और अन्य करप्शन से जुड़ी खबरें छाई होती थीं लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं। उन्होंने कहा, “तब बात होती थी कि कितना गया और अब बात होती है कि कितना आया।पीएम ने कहा, “ईमानदारी के नाम पर देश की जनता आने वाले 100 सालों में भी कांग्रेस के ऊपर विश्वास नहीं करेगी।