Tuesday, December 13, 2011

प्रेम ने तोड़ी मज़हबी दीवार


बाला साहेब ठाकरे ताउम्र मुसलमानों का घोर विरोध करते रहे....मुस्लिम विरोध की सियासत करते हुए महराष्ट्र में अपनी सियासी ज़मीन मज़बूत की.....उसी ठाकरे की पोती नेता ने नेहा ने एक मुस्लिम लड़के से शादी कर ली....इसके लिए उसने हिंदू धर्म को छोड़कर मुसलमान भी हो गई....ख़बर बेशक़ चौंकाने वाली हो....लेकिन सोलहों आने सच है....हैरानी इस बात की है कि मुस्लिमों के ख़ून के प्यासे होने का दावा करने वाले बाला ठाकरे भी इस शादी में मौजूद थे....अब ये पता नहीं कि वो कलेजे पर पत्थर रखकर आए थे या फिर पोती की खुशी के लिए मज़हब भूला बैठे थे.....वो अपने साथ पूरे परिवार को लेकर शादी के मंडप में पहुंचे....
बाल ठाकरे के तीन बेटे हैं.....बिंदुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे...बिंदुमाधव सबसे बड़े बेटे थे...उनका बहुत पहले देहांत हो गया था....उनकी बेटी नेहा का दिल गुजरात के डॉक्टर मोहम्मद नबी हन्नान पर आ गया था.....नबी के पिता बिंदुमाधव के गहरे दोस्त भी थे...इनदिनों बाल ठाकरे के बाग़ी भतीजे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे से दोस्ती निभा रहे हैं....दोनों अरसे से चुपके-चुपके ‘दिलजोली’ कर रहे थे....ख़बरों के मुताबिक़, अपने दादा की नीति को देखते हुए दोनों सामाजीक तौर पर ब्याह रचाने से कतरा रहे थे...लेकिन दिल पर ज़ोर नहीं चल रहा था....दोनों ने लगभग तीन महीने पहले कोर्ट में रजिस्टर्ड शादी कर ली....इस शादी की ख़बर जब ठाकरे परिवार को हुई तो हाथों से तोते उड़ गए....लेकिन उनके पास ‘मुस्लिम जमाई राजा’ को अपनाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था....लिहाज़ा इस शादी को मंज़ूरी दे दी...
परिवार ने फैसला किया कि ग्रैंड रिसेप्शन देकर इस शादी को सामाजिक मंज़ूरी दे दी जाए... मुंबई के मशहूर होटलों में से एक होटल ताज लैंड्स एंड में शानदार डिनर दिया गया....इस रिस्पेशन में ठाकरे परिवार से जुड़ी कई हस्तियां मौजूद थीं.....ख़ुद बाल ठाकरे, उद्धव ठाकरे और उनकी पत्नी और बच्चों के अलावा राज ठाकरे भी पूरे परिवार के साथ रिसेप्शन में आए....ठाकरे साहेब एक बहुत बड़े गुलदस्ते के साथ पहुंचे......इस शादी को लेकर तरह तरह की ख़बरें आ रही हैं...ठाकरे घराने से जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि इस शादी के लिए नबी ने अपना धर्म बदल लिया है....जबकि नबी घराने के लोग दावा कर रहे हैं नेहा ने धर्म बदल लिया है...लेकिन दोनों ही ख़बरों की पुष्टि नहीं हो पाई है.....
ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी ने प्रेम विवाह कर ठाकरे के पिता केशव सीताराम ठाकरे उर्फ प्रबोधनकार ठाकरे का सपना सच कर दिखाया....ठाकरे भले ही ताउम्र नफरत फैलाने की सियासत करते हों और मुस्लिमों के ख़िलाफ ज़हर उगलकर मराठी अस्मिता का सवाल उटाकर अपनी सियासी मज़बूत करने में सफल हो गए हों....लेकिन उनके पिता ने ताउम्र में प्रेम विवाह का समर्थन किया.....बाला साहेब ठाकरे के पिता प्रबोधनकार ठाकरे अपने समय के बहुत बड़े समाज सुधारक थे....वो महात्मा फूले के विचारों से प्रभावित थे... सत्यशोधक आंदोलन के अगुवा रहे प्रबोधनकार ने बाल विवाह, दहेज, छुआछूत, जातिवाद जैसी घोर सामाजिक कुरूतियों को मिटाने में प्रमुख योगदान दिया। उस जमाने में शादी से पहले प्रेम करने को व्यभिचार समझा जाता था...लेकिन प्रबोधनकार ने समाज और धर्म के ठेकेदारों को चुनौती देते हुए अनेक प्रेमी जोडों की शादियां कराईं....

प्रबोधनकार ठाकरे एक पत्रकार, साहित्यकार, कार्टूनिस्ट औऱ फिल्मी कलाकार भी थे.. केवल चौंतीस साल की उम्र में भाषण कला पर मराठी में किताब लिख दी थी...उस समय इस विषय पर किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई पहली किताब थी....प्रबोधनकार ठाकरे ने कुछ मराठी फिल्मों में भी काम किया था... उनकी प्रतिभा को देखते हुए छत्रपति शाहूजी महाराज ने उनके सामने नौकरी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वैचारिक मतभेद के कारण प्रबोधनकार ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया था... वो एक पाक्षिक पत्रिका प्रकाशित करते थे जिसमें वे प्रबोधनकार के नाम से लिखते थे इसलिए उन्हें प्रबोधनकार ठाकरे के नाम से भी जाना जाता है.

जबकि अपने पिता के कृतित्व के विपरीत बाला साहेब ठाकरे मराठी अस्मिता के नाम पर क्षेत्रियतावाद और उग्र हिन्दू-राष्ट्रवाद की राजनीति करते है...इसके तहत उत्तर भारतीयों ख़ासतौर पर बिहारियों को बार-बार निशाना बनाया जाता है....90 के दशक में मुंबई में हिन्दू-मुस्लिम दंगो के पीछे शिवसेना की भूमिका जगज़ाहिर है...ये शिवसेना ही है, जो वेलनटाइन्स डे पर प्रेम करनेवालों को पकड़कर पीटते हैं....और इसे हिंदू सभ्यता और संस्कृति के ख़िलाफ़ बताते हैं....कुछ साल पहले सांगली में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने प्यार करने वालों को पकड़ कर गधे से शादी तक करवा दी थी...

बहरहाल, नेहा ने शादी कर ये साबित कर दिया कि उनकी रग़ों में उनके परदादा केशव सीताराम ठाकरे का ख़ून बहता है....जिसनें सारी ज़िंदगी प्रेम विवाह करने वालों के समर्थन में बिता दी.....उन्होने अपने दादा जी की नीति को दूर से ही सलाम कर दिया....शायद उन्होने परिवार को बेहद क़रीब से देखने के बाद ये फैसला किया होगा....पिता की मौत के बाद चाचा जयदेव और चाची स्मिता ठाकरे का झगड़ा और तलाक़ होते देखा....चाचा उद्धव और राज ठाकरे का झगड़ा देखा.....घर में अपने परदादा के क़िस्से सुने होंगे...इसलिए भी मज़हब की दीवार तोड़कर शादी करने में अचड़न नहीं आई होगी...