हरियाणा जिस तरह से पूरी
तैयारी के साथ अराजकता, हिंसा और क़त्ल ओ ग़रद का नज़ारा नज़ीर बनाकर देश में पेश
किया गया, उसके लिए देश कभी बीजेपी और मोदी सरकार को माफ नहीं करेगा। मुझे याद
नहीं पड़ता कि कभी किसी कोर्ट ने किसी भी प्रधानमंत्री को काम-काज करने क शऊर
बताया हो। ये नज़ीर भी इस सरकार ने पेश कर दी। निर्दोषों की लाश, चीख-पुकार,
आग-धुंए का गुबार देखने के बाद पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट को कहना पड़ा कि
प्रधानमंत्री जी आप इस देश के पीएम हैं। बीजेपी के नहीं। पंचकूला और हरियाणा भी
इसी देश का हिस्सा है।
इन लाशों के ढेर पर मेरी
नज़र में तीन दोषी बैठे हैं। पहला, खुद रेप
कांड का आरोपी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरुमीत राम रहीम सिंह इंसां है। दूसरी
बीजेपी के नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं, जिनका पालन-पोषण
संघ की शाखा में हुआ है। तीसरे दोषी इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं,
जिन्होंने अपने आंखों के सामने ये सब होते देखा। घटना की निंदा कर अपना राजधर्म
पूरा कर लिया।
हरियाणा, पंजाब और दिल्ली
का बच्चा-बच्चा जानता था कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां
के कोर्ट में पेश होने पर क्या-क्या हो सकता है। मीडिया और कोर्ट ने कई दिनों पहले
ही इसकी आशंका जताकर सरकार को आगाह कर दिया था। लेकिन सरकार कान में तेल डालकर सोई
रही। सरकार इस क़दर हालात को नहीं संभाल
पाई कि कोर्ट को कहना पड़ा कि जमा हो चुके लाखों डेरा समर्थकों को खदेड़ने में विफल
डीजीपी को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। लेकिन कोर्ट से फटकार सुनने के बाद भी
सरकार बेशर्मी पर उतारू रही। गृह सचिव अच्छे काम काज के लिए डीजीपी की पीठ थपथपाते
रहे।
वोटों के लिए कोई सरकार
किसी यौन अपराधी से इस तरह जुड़ सकती है, विश्वास
नहीं होता। चुनाव से पहले डेरा प्रेमियों का वोट पाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित
शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही रेपिस्ट राम के दर तक हो कर आ चुके
हैं। वो भी तब जब उनकी पार्टी से चुनकर प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने
उसके खिलाफ सीबीआई को लगाया था। क्या मोदी और शाह राजनीति के इतने कच्चे खिलाड़ी
हैं कि वो रेपिस्ट राम का करतूत नहीं जानते थे। साध्वियों को दर्द नहीं समझते थे।
कहने में शर्म आती है लेकिन ये सच है कि सत्ता और वोट की लालच में दोनों ने
धृतराष्ट्र बनने में ही भलाई समझी। हरियाणा सरकार, तमाम मंत्री और खुद मुख्यमंत्री
सरकार के दरबार में शीश नवाने जाते ही रहते हैं। समझ में नहीं आता कि वोट बैंक का
ऐसा आपराधिक मोह हमारी राजनीति को कहां ले जाएगा?
राम रहीम इसलिए इतना ताक़तवर,
असरदार और दमदार बन पाया क्योंकि हर राजनीतिक पार्टी उसके चरणों में लोटती रही। पहले
कांग्रेस ने ये नाटक किया। फिर ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल ने
किया। अकालियों ने भी वही किया। वहीं काम अब वो पार्टी कर रही है, जो दावा करती है
कि देश में आज वो सब हो रहा है, जो पहले साठ सालों में नहीं हुआ। देश बदल रहा है। अच्छे
दिन आनेवाले हैं। ।
देश हरियाणा की हिंसा और
निर्दोष नागरिकों की सड़कों पर प्रदर्शन के दौरान हत्या का घिनौना चेहरा देख चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को
चाहिए कि मनोहर लाल खट्टर को बर्खास्त कर दें। खट्टर को चाहिए कि जाने से पहले
डीजीपी को बर्खास्त कर दें। ये मांग उठने भी लगी है। इसमें राजनीति नहीं देखी चाहिए।
सत्रह साल पहले जिस तरह से गुजरात दंगे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म की याद दिलाते हुए बर्ख़ास्तगी की कार्रवाई
शुरु की थी। बेशक़ लाल कृष्ण आडवाणी ने बचा लिया था। आज वही मंज़र ख़ुद मोदी के
सामने हैं। आज वो प्रधानमंत्री हैं। खट्टर मुख्यमंत्री हैं। प्रधानमंत्री राजधर्म
की नसीहत दे रहे हैं। देश की आंखें खुल चुकी हैं। प्रधानमंत्री जी अब आप भी आंखें
खोलिए।
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