बाबा गुरुमीत राम रहीम सिंह
इंसां तो बहाना है। असल में हमें आपको जगाना है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत हैं।
कहते हैं कि वो सभी धर्म और जाति को मानते हैं। उनके लिए सबसे बड़ा धर्म इंसानियत
है। इसलिए इंसां का तखल्लुस यानी टाइटल लगाते हैं। संत भी हैं और इंसान भी तो फिर
ये कहां का तकाज़ा है कि साध्वी का रेप कर दें। गवाह की हत्या करा दें। सीबीआई के
चार्जशीट में साफ है कि बाबा के रेप से आज़िज आकर 24 साध्वियों ने डेरा छोड़ दिया। जिन साध्वियों तक सीबीआई नहीं पहुंच पाई,
वो आंकड़ा इसमें नहीं है। डरा प्रमुख को करनी की सज़ा हुई
तो प्रेमी भड़क गए। जगह-जगह पर हिंसा, आगज़नी और मारकाट
मची है। अब तक तीन लोग मारे जा चुके हैं। डर इस बात का है कि ये हिंसा कई दिनों तक
चलेगी। क्योंकि इससे बचने की सरकार की तैयारी नहीं थी या थी भी तो अधूरी थी।
इस हिंसा और अपराध का सीधा
वास्ता राजनीति से है। ये बाबा लोग दुनिया को संत बनने का ढोंग कर दिखाते हैं।
लेकिन उनका असली धंधा कुछ और होता है। इन अपराधों को छिपाने के लिए उन्हें नेताओं
के साथ ज़रुरत होती है। इन ढोंगी बाबाओं के अंधभक्तों की संख्या भी लाखों-करोड़ों
की होती है, जो उनके इशारे पर मरने कटने
को तैयार रहते हैं। ये संख्या नेताओं को ललचाती है। ये बात डेरा सच्चा पर भी लागू
होती है।
शुरू में वो कांग्रेसी थे।
हरियाणा में जब इंडियन नेशनल लोकदल की सरकार बनी तो वो पाला बदल लिए। केंद्र में
जब मोदी की सरकार बनी तब वो भाजपाई हो गए। हरियाणा में चुनाव के समय सत्ता के लिए
बीजेपी को करोड़ों डेरा प्रेमियों का वोट चाहिए थे। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह चलकर डेरा के दर तक गए। क्या उन्हें नहीं मालूम
था कि डेरा पर रेप और मर्डर का रेप चल रहा है। ये केस उन्ही की पार्टी की सरकार ने
खोला था, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। आज मोदी
सरकार और बीजेपी ऐसे ड्रामा कर रही है जैसे कि उसे इस बारे में कुछ पता ही नहीं
था।
नेता और ढोंगी बाबा एक ही
सिक्के के दो पहलू हो। एक दूसरे बाबा हैं। संत हैं। हरियाणा के ही यादव हैं। नाम
है बाबा रामदेव। कहने को आज देशभक्ति, स्वदेशी और योग का
ठेका ले रखा है। भगवा चोला पहनकर मोदी के साथ ठिठोली करते हैं। क्या आप जानते हैं
कि उन पर किस-किस तरह के केस है। कांग्रेस सरकार के समय खुलासा हुआ था कि
उत्तराखंड के उनकी फैक्ट्री में जो कथित आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं, उसमें इंसानी हड्डियां और खोपड़ी का इस्तेमाल होता है।
छापेमारी में अनगिनत हड्डियां और खोपड़ियां मिली थीं। उनकी फैक्ट्री में मज़दूरी
नियमों को नहीं माना जाता। 8 घंटे की जगह कई कई घंटे
काम लिया जाता है। पंतजलि के नाम पर जो प्रोडक्ट वो बेचते हैं, वो छोटी फैक्ट्रियों से बनकर आता है। बस लेवल पंतजिल का लग
जाता है। सरकारी संस्थाओं ने कई बार उनके नूडल्स से लेकर शहद तक को घटिया स्तर का
पाया है। लेकिन बाबा का धंधा चोखा चल रहा है। एक और बाबा हैं। पहले मठ में रहते
थे। आजकल एक प्रदेश की सरकार चला रहे हैं। संत तो सांसारिक मोहमाया से दूर होता
है। ये लेकिन ये बाबा सीधे सत्ता सुख भोग रहे हैं। इनके भी माथे पर अपराध का कलंक
है। आईपीसी की धारा 147 यानी दंगा करना,
148 यानी दंगे में घातक हथियार का इस्तेमाल करना,
295 यानी दूसरे धर्म या पूजा स्थल का अपमान करना, 297 यानी कब्रिस्तानों पर
कब्ज़ा करना, 153A यानी धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर लोगों
को लड़ाना-भिड़ाना, 307 यानी हत्या की कोशिश, धारा 302 यानी हत्या और धारा 506 आपराधिक धमकी देने के केस चल रहे हैं।
ये सारी बातें आज हम आपको
इसलिए बता रहे हैं ताकि आपकी आंखें खुलें। आप पूजा कीजिए। आस्था रखिए। ये बहुत
अच्छी बात है। लेकिन धर्म की आड़ में बाबा बने ढोंगियों से बचिए। ये भी हमारी आपकी
तरह आम इंसान है। केवल धर्म और भगवान का डर दिखाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। इनको
शह देते हैं नेता लोग और पार्टियां। आप बाबा बन गए। संत बन गए। जाइए प्रभु का नाम
जपिए। राजनीति मत कीजिए। देशभक्ति मत सिखाइए। धर्म का पाठ मत पढ़ाइए। उम्मीद है कि
मेरी ये समझाइश आपके बहुत काम आएगी।
No comments:
Post a Comment