Monday, January 21, 2019

इसलिए साथी दलों के नखरे सह रही है बीजेपी

परदेसी परदेसी जाना नहीं... शायद बीजेपी के इन दो बड़े नेताओं का दिल आजकल यही गाना गुनगुना रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव आते ही पुराने साथी दोस्ती तोड़ने की खुलेआम धमकी दे रही है। बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में हर राज्यों की पार्टियां बीजेपी को आंखें दिखा रही हैं। सीधे-सीधे पॉलिटिकल बार्गेनिंग कर रही हैं। नरेंद्र मोदी- अमित शाह को खुलएमा कह रही हैं कि या तो मेरी शर्त मानों या फिर भांड़ में जाओ। धमकी देनेवाली बड़ी पार्टियों में महाराष्ट्र की शिवसेना, बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी, आरएलएसपी, यूपी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल सोनेलाल गुट और असम की असम गण परिषद जैसी पार्टियां हैं। सबके पास अपने अपने बहाने हैं। लेकिन सबकी निगाहें ज्यादा हिस्सेदारी पर है। सब ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी ताकत बढ़ाना चाहती हैं।
बात अगर महाराष्ट्र की करें तो शिवसेना कोई छोटी मोटी पार्टी नहीं है। ये बात मोदी और शाह अच्छी तरह से जानते हैं। वो ये भी जानते हैं कि अगर शिवसेना ने बहिया झटक दी तो सीट जीतने में लाले पड़ जाएंगे। शिवसेना अपनी ताकत को जानती है इसलिए कभी मंदिर तो कभी किसी और बहाने से मोदी और शाह पर हंटर चलाती रहती है और ये दोनों जुबानी कोड़े सहने को मजबूर होते हैं। बिहार में बड़े भैय्या बने जेडीयू के नीतीश कुमार बड़े ही तेज निकले। दो सीटें जीतनेवाली जेडीयू 40 सीटों में से अकेले 17 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुकी है। बाकी की सीटों पर बीजेपी रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को क्या दे और कितने पर वो लड़े उसे समझ में नहीं आ रहा।
यूपी में भी ओमप्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल नाम में दम दम किए हुए हैं। दोनों ही मंत्री हैं एक मोदी की तो दूसरे योगी। एक खुलेआम योगी-मोदी को निंदा करता है तो मैडम योगी के किसी प्रोग्राम में जाती ही नहीं। एक के पास कुर्मियों को ठेका तो दूसरे के पास राजभर वोटों का। अब बीजेपी करे भी तो क्या करे। असम में असम गणपरिषद अलग ताव दिखा रही है। दक्षिण में बीजेपी के पुराने साथी अभी शांत हैं लेकिन तेलंगाना में पुराने साथ टीआरएस के कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव ने बहाना खोजकर साथ छोड़ दिया। अब अगर बीजेपी को वहां कमल खिलाना है तो केसीआर के आगे हाथ जोड़ना पड़ेगा। ओड़ीशा में बीजेपी के नवीन पटनायक कभी एनडीए में थे। आज नहीं है। ऐसे ही पश्चिम बंगाल में टीएमसी की ममता बैनर्जी भी एनडीए में थी। वो आज बीजेपी को पानी पिला रही हैं। साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत और कमल हासन अलग पार्टी बनाकर ताल ठोक रहे हैं। बीजेपी केवल हिंदी पट्टी के मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा में राहत की सांस ले रही है, जहां कोई धौंस दिखाने वाला नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले साथियों के इन तेवरों को देखते हुए मोदी और शाह के दिल से यही तराना निकल रहा होगा- ना जाओ सैय्या छुड़ा के बहियां कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूंगी...

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