न्यूज़ डेस्क- 2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। कांग्रेस ने राहुल गांधी को 2019 में पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस फैसले के कुछ देर बाद ही यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दल के सुर बदलते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐेसे में कांग्रेस ने भी संकेत दे दिए हैं कि पीएम पद के लिए वह सहयोगी पार्टियों के नेताओं का समर्थन करने को तैयार है, बशर्ते वो उम्मीदवार आरएसएस समर्थित न हो। पार्टी के बड़े नेताओं की रणनीति है कि बीजेपी को 2019 में सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस राज्यों में विभिन्न दलों का गठबंधन बनाने पर गौर करेगी। दरअसल लोकसभा चुनाव में मोदी को मात देने के लिए विपक्षी दल एकजुट होकर मुकाबला करना चाहते हैं लेकिन नेतृत्व को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। विपक्षी खेमे में ऐसी अटकलें हैं कि अगले चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर किसी महिला को पेश किया जाए। ऐसे में बीएसपी नेता मायावती और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी का नाम उभरकर सामने आ रहा है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को 2019 के लिए पीएम पद के चेहरे के तौर पर पेश किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी का निर्णय सटीक, सपाट और स्पष्ट है। राहुल गांधी हमारा चेहरा हैं, हम उनके नेतृत्व में जनता के बीच जाएंगे। अब पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए वह क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है। हालांकि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस के लिए रास्ता इतना आसान नहीं है पार्टी को सपा, बसपा और राजद की शर्तें भी स्वीकार करनी होगी।
आरजेडी ने इशारों-इशारों में राहुल की पीएम पद की दावेदारी पर सवाल उठाए थे। वहीं तेजस्वी के बाद मायावती ने भी कांग्रेस को दो टूक संदेश देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन तभी संभव है, जब उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। अगर इस समझौते में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो भी उनकी पार्टी अकेले लड़ने को पूरी तरह तैयार है। सूत्रों के अनुसार राहुल की दावेदारी पर सहयोगी दलों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। दरअसल पार्टी किसी भी कीमत पर महागठबंधन में बिखराव नहीं चाहती है।
राहुल गांधी खुद भी विपक्षी गठबंधन की किसी महिला उम्मीदवार के लिए पीछे हटने के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि आरएसएस समर्थित व्यक्ति के अलावा वह किसी के भी प्रधानमंत्री बनने पर सहज हैं। वहीं मंगलवार को महिला पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने भी कांग्रेस की इसी राजनीतिक लाइन को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि वह किसी भी ऐसे प्रत्याशी का समर्थन करेंगे जो बीजेपी और आरएसएस को हराएगा।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को 2019 के लिए पीएम पद के चेहरे के तौर पर पेश किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी का निर्णय सटीक, सपाट और स्पष्ट है। राहुल गांधी हमारा चेहरा हैं, हम उनके नेतृत्व में जनता के बीच जाएंगे। अब पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए वह क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है। हालांकि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस के लिए रास्ता इतना आसान नहीं है पार्टी को सपा, बसपा और राजद की शर्तें भी स्वीकार करनी होगी।
आरजेडी ने इशारों-इशारों में राहुल की पीएम पद की दावेदारी पर सवाल उठाए थे। वहीं तेजस्वी के बाद मायावती ने भी कांग्रेस को दो टूक संदेश देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन तभी संभव है, जब उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। अगर इस समझौते में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो भी उनकी पार्टी अकेले लड़ने को पूरी तरह तैयार है। सूत्रों के अनुसार राहुल की दावेदारी पर सहयोगी दलों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। दरअसल पार्टी किसी भी कीमत पर महागठबंधन में बिखराव नहीं चाहती है।
राहुल गांधी खुद भी विपक्षी गठबंधन की किसी महिला उम्मीदवार के लिए पीछे हटने के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि आरएसएस समर्थित व्यक्ति के अलावा वह किसी के भी प्रधानमंत्री बनने पर सहज हैं। वहीं मंगलवार को महिला पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने भी कांग्रेस की इसी राजनीतिक लाइन को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि वह किसी भी ऐसे प्रत्याशी का समर्थन करेंगे जो बीजेपी और आरएसएस को हराएगा।
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