Monday, February 2, 2009

क़समें, वादे, प्यार- वफ़ा सब- बातें हैं , बातों क्या फ़िज़ा


बदली की ओट में चांद क्या छिपा, फ़िज़ा ही बदल गई है। फ़िज़ की ज़िंदगी में जब बहार की जगह अमावस की रात होगी तो वो बदलेगी ही। हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन उर्फ चांद मोहम्मद और अनुराधा बाली उर्फ फ़िज़ा की मोहब्बत को नज़र लग गई। अब चांद मोहम्मद कुछ कह रहे हैं और फिज़ा कुछ और। ऐसे हालात में फ़ैज़ अहमद फैज़ बेसाख़्ता याद आते हैं। उन्होने लिखा है-

मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब न मांग
मैंने समझा था इक तू है तो दरख़्शां है हयात
तेरा ग़म है तो ग़म ए दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सोहबत
तेरी आंखों के सिवाए दुनिया में रक्खा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निग़ाह हो जाए
यूं ना था मैंने फ़क़त चाहा था यूं हो जाए

फ़ैज़ अहमद फैज़ की इस कृति की कुछ आख़िरी पंक्तियां यूं है-

लौट जाती है इधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तेरा हुस्नमगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवाए
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवाए

अब इसे पढ़ने के बाद चांद मोहम्मद और फिज़ा की मोहब्बत भरी दास्तां पर टूटी सितम का अंदाज़ा लगा सकते हैं। अभी कुछ महीने भी नहीं बीते थे कि चंद्रमोहन ने अपनी अनुराधा बाली के लिए घर बार, पत्नी, बच्चा, मां- बांप, भाई -बहन - सबको तज दिया था। यहां तक कि हरियाणा के डिप्टी सीएम की कुर्सी भी। अनुराधा ने भी अपने चंद्रमोहन के लिए पति छोड़ा। सरकारी वकील की बड़ी नौकरी छोड़ी। यहां तक कि औरत का सबसे बड़ा गहना - लाज को भी मुहब्बत के लिए तिलांजलि दे दी। शादी में आनेवाली बाधाओं को दूर करने के लिए मज़हब तक बदल लिया। चंद्रमोहन चांद बन गया और अनुराधा बन गई चांद की फ़िज़ा। दोनों बाहों में बाहें डाले दुनिया के सामने आए। चांद ने कहा कि पहली पत्नी सीमा के रहते ज़िंदगी में घुटन आ गई थी। कहने का कुछ यूं अंदाज़ था कि जिंदगी में अब तो बहार आई है। अब इसी फिज़ा में ज़रा सुक़ून तो लेने दो। फ़िज़ा भी फूले नहीं समा रही थी। बरसों बाद आंचल में प्यार बरस रहा था। दोनों की मुहब्बत भरी कहानी ने मटुकनाथ और जूली की कहानी को भी पीछे छोड़ दिया। सबसे हॉटेस्ट लव स्टोरी बनी फ़िज़ा और चांद की लव स्टोरी। इस जोड़ी को देखने के लिए मीडिया की भी बेताबी देखते बन पड़ती थी। याद आता है इस जोड़े के प्रेस क्लब में बुलाया गया था। इस जोड़े की ख़बर लेने मेरे साथ मेरे वरिष्ठ सहयोगी उमेश जोशी और साथी रोहिल पुरी भी गए। मेरे आदरणीय परवेज़ अहमद साहेब ने प्रेस क्लब में चचा ग़ालिब को याद करते हुए दुआएं दी थी। शायद चचा की आड़ में वो इस जोड़े को ताक़ीद भी कर रहे थे। उनके स्वागत करने का तरीक़ा कुछ यूं था- ये इश्क़ नहीं आसां ग़ालिब बस यूं समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है। इस दौरान दोनों ने साथ जीने मरने की क़समें खाई। मज़हब बदलने पर सफ़ाई दी। हुस्न के जुनून में खोए राजनेता को ये स्वीकारने में भी गुरेज नहीं था कि दिल की बाज़ी जीतने में वो कुर्सी की बाज़ी हार गए हैं। वो बस फिज़ा को निहार रहे थे। दुनिया को दिखा रहे थे कि देखो, मेरे पास मलिका ए हुस्न है।
फिर एक दिन यकायक चांद कहीं खो गया। फिज़ा बदल गई। फिज़ा ने कहा- मेरे शौहर को मार पीट कर अगवा किया गया है। ये काम उनके छोटे भाई कुलदीप विश्नोई ने किया है। कुलदीप ने आरोप को नकारा। शाम क धर्म की नगरी हरिद्वार में चांद निकला। चांद का कहना था कि वो अपनी मर्ज़ी से हरिद्वार में उग आया है। वो धर्मयात्रा पर है। वो कोई बच्चा नहीं, जो कोई उसे अगवा कर लेगा। शायद ये बेवफाई, ये जुदाई फ़िज़ा से बर्दाश्त नहीं हुई। उसने बहुत सारी नींद की गोलियां खा ली। वो अपनी मुहब्बत को शायद रूसवा होते नहीं देखना चाहती थी। उसे उम्मीद थी कि चांद उसके आंगन में ज़रूर लौटकर आएगा। क्योंकि उसकी चांदनी से चमकता है। लेकिन चांद नहीं आया। उसने खुलकर बेवफाई की बात करने लगी। दुनिया को मोबाइल पर प्रेम रस दिखाया। रोई, ज़ार-ज़ार रोई। दिल से रोई। फफक कर रोई। क्योंकि उसका चांद उससे दूर जा चुका था। चोट काई नागिन की तरह उसने एलान कर दिया- चांद ने फ़िजा की केवल मुहब्बत देखी है, दूसरा चेहरा नहीं देखा। सच कहा फ़िज़ा ने। महबूबा के दो चेहरे होते हैं। ये हर आशिक़ जानता है। एक वो जब वो हर लम्हा चंद्रमुखी दिखती है और अपने अंदर सूरजमुखी छिपाए रखती है।
चांद और फिज़ा की इस लव स्टोरी, जिसका नाम है- कमबख़्त इश्क़ 2008। शायद इसी तरह के अंजाम को देखकर कभी ये लिखा गया होगा-
क़िस्मत को देखिए , कहां टूटी कमंद
जबकि दो -चार हाथ लमे बाम रह गया

2 comments:

Vinay said...

आप सादर आमंत्रित हैं, आनन्द बक्षी की गीत जीवनी का दूसरा भाग पढ़ें और अपनी राय दें!
दूसरा भाग | पहला भाग

Pawan said...

चंदन जी, ज़रा त्रिया चरित्र तो देखिए...। इस औरत को अब नारी विमर्श याद आ रहा है। हमारी अवधी में ऐसी औरतों को छिनार और हरजाई से ज्यादा और कुछ नहीं कहते।. माफी चाहूंगा।...