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एक बार फिर कांग्रेस की सरकार मीडिया का गला घोंटने की तैयारी कर रही है। सरकार केवल नियमों में बदलाव करना चाहती है। क्योंकि सरकार को लगता है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपनी जि़म्मेदारी की समझ नहीं है। सरकार कहती है कि देश पर आतंकवादी हमलों और दंगों के समय में टीवी चैनलों की रिपोर्टिग सही और संयमित होनी चाहिए। यानी सरकार ये कह रही है कि अब तक टीवी चैनलों ने सधी हुई रिपोर्टिंग नहीं की है। क्यों ? शायद सरकार इसका जवाह अभी नहीं दे पाए। लेकिन बार-बार वो मुंबई आतंकवादी हमले की रिपोर्टिंग का हवाला दे रही है। इसलिए सरकार चाहती है कि टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग पर सरकार की लगाम हो। अगर सरकार अपनी मंशा में क़ामयाब हो जाती है , तो फिर क्या होगा ?
फ़र्ज़ कीजिए किसी शहर में दंगा हो गया हो। सुबह सात बजे की बुलेटिन की शुरूआत ऐसे होगी। नमस्कार , मैं हूं ओम सिंह और आप देख रहे हैं .... चैनल। अभी -अभी ख़बर मिली है कि सूरत में दंगे हो भड़क गए हैं। लेकिन अभी हम आपको ये नहीं बताएंगे कि किस समुदाय के बीच दंगा हो रहा है। दंगा किसने शुरू किया। इस दंगे में कितने लोग मारे गए हैं। कितने लोग घायल हुए हैं। कितने दुकान-मकान जलाए गए हैं। इस दंगे का असर शहर , राज्य और देश पर क्या पड़ रहा है। क्योंकि सरकार ने हमें ये सब बताने को मना किया है। इस बारे में हम आपको शाम पांच बजे के बाद बता पाएंगे। आप य न सोचें कि हमारे पास रिपोर्टर नहीं है। ये फाइव विंडों में देखे मनीष मासूम अभी खुमार उतारने में लगे हैं। विवेक वाजपेयी किसी पुलिसवाले से गपिया रहे हैं। दीपक बिस्ट की नज़रें कुछ खोज रही हैं। योगेंद्र प्रजापति को किसी का इंतजार है औऱ रोहिल पुरी अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहे हैं। ये सब दफ्तर में ही हैं। लेकिन रिपोर्टिंग पर नहीं जाएंगे। गाड़ी भी , सीएनजी भी है और कैमरापर्सन भी । हमें सरकार ने बताया है कि बल्लीमारान में शादी ब्याह का वीएचएस फिल्म बनानेवाले रऊफ चाचा से बात हो गई है। वो हमें पैंतीस सेकेंड का विज़ुअल दे देंगे। डीएम साहेब अपनी बाइट भी 20 सेकेंड का भेज देंगे। डीएम साहेब ही बताएंगे कि दंगा कब , कैसे शुरू हुआ। हम मौक़े पर मौजूद चश्मदीदों-गवाहों ज़ाकिर, अरूण , विनीत, अल्ताफ और सीता बेन की बात पर भरोसा नहीं करेंगे।
सुबह नौ बजे का बुलेटिन। नमस्कार . मैं हूं ओम सिंह और आप देख रहे हैं .... न्यूज़। सबसे पहले आपको बताते हैं कि गुजरात में दंगा हुआ है। लेकिन इस बारे में अभी आपको कुछ नहीं बताएंगे। क्योंकि एख घंटे पहले ही हमने इस बारे में आपको जानकारी दी थी। डिटेल में शाम को पांच बजे के बाद बताएंगे। फिलहाल सबसे बड़ी ख़बर, प्रधानमंत्री ने राजीव फ्लाई ओवर का उदघाटन किया है। इस पुल के बनने से अब लोदी रोड आने जाने में काफी आसानी होगी। लोगों को ट्रैफिक में नहीं फंसने होगा। मिनटों की दूरी सेकेंडों में पूरी होगी। प्रधानमंत्री ने यूपीए अध्यक्ष के कहने पर इस पुल को बनवाया है। यूपीए अध्यक्ष को बहुत तकलीफ होती थी जब प्रियंका के पति राबर्ट के दोस्तों में आने जाने में परेशानी होती थी। उनके सभी दोस्तों के पास लाल औऱ नीली बत्ती की सुविधा नहीं है। दूसरी बड़ी ख़बर, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री फौरन अमेठी रवाना हो गए हैं। वहां वो शिओ देवी से मिलेंगे। शिओ दंवी के पांच बच्चे हैं और पति कैा देहांत हो गया है। गुज़र-बसर करने में दिक़्क़त हो रही है। कांग्रेस के युवराज कल उनके यहां रात को ठहरे थे। लट्टू से लेकर पंखा तक उसके घर में नहीं है। युवराज से उनकी तकलीफ देखी नहीं गई। उन्होने अपने मम्मी से इस बारे में बात की। मम्मी ने प्रदानमंत्री से सब कुछ ठीक करने को कहा। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण विकास मंत्री को भेजा है। अह शिओं देवी के घर के सामने से स्वर्णिम योजना गुज़रेगी। रोज़गार गारंटी योजना के तहत शिओं देवी को 365 दिन काम मिलेंगा। बिजली मंत्री आज शाम को घर जाएंगे। शिओ देवी के घर पर लट्टू लगवाएंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री थोड़ी देर में पहुंचेगे। बच्चों को स्कूल में एडमिशन कराएंगे। तो देखा आपने - कांग्रेस का हाथ , ग़रीबों के साथ है। फिर मिलेंगे , नमस्कार।
शाम पांच बजे- सबसे पहले बात गुजरात दंगे की । डीएम ने कहा है कि सूरत में मुर्गी पकड़ने के लिए मुहल्ले के दो गुटों में संघर्ष हो गया। प्रशासन ने फौरन पुलिस बल तैनान कर दिए। हालात सामान्य हैं। अफ़वाह फैलानेवालों की ख़बर ली जाएगी।
कुछ ऐसी ही न्यूज़ बुलेटिन देखे जाएंगे। क्योंकि सरकार के इशारे पर नाचने का हुक़्म होगा। ये हुक़्म लोकतंत्र में क़ानून की आड़ में होगा। क्योंकि इलेक्ट्रानिक मीडिया से देश की अखंडता , अक्ष्णुता और एकता ख़तरे में न पड़े। टीवी चैनलों ने मुंबई हमले के समय क्या दिखाया। सब स्क्रीन पर होटल के बाहर के शॉट्स दिखे। सभी कैमरापर्सन और रिपोर्टर होटला से ढ़ाई-तीन सौ मीटर दूर खड़े थे। सरकार का बयान हास्यास्पद है कि आतंकवादी टीवी देखकर चौकस हो रहे थे। यानी वो आतंकवादी सरहद पार कर सिर्फ टीवी देखने आए थे और टीवी देख देखकर आग लगा रहे थे। हथगोले फेंक रहे थे । गोलियां चला रहे थे। लोगों की हत्या कर रहे थे। ये इनकाउंटर कई घंटे चला था। यानी आतंकवादी अख़बार भी पढ़ रहे होंगे। किस पन्ने पर कितने कॉलम में ख़बर है। फोटो है कि नहीं। इटंरनेट भी पढ़ रहे होंगे। सरकार कहती है तो शायद ऐसा ही हुआ होगा।
सोनिया की सासू मां इंदिरा गांधी ने अपने लाड़ले संजय गांधी के साथ मिलकर आपातकाल की घोषणा कर दी। अख़बारों और पत्रिकाओं पर हंटर चलने लगे। जिन रीढ की हड्डी वाले पत्रकारों ने रेंगने से मना कर दिया , उन पर ज़ुल्म हुए। जेल बेजे गए। क्योंकि उनसे देश को ख़तरा था। लोकतंत्र बहुत देऱ तक किसी की तानाशाही बर्दाश्त नहीं करता। चुनाव में लोकंतंत्र ने मां- बेटे को ऐसी सज़ा दी, जो उनका परिवार कभी भूल नहीं सकता। पहली बार देश की सत्ता नेहरू-गांधी परिवार के हाथ से निकल गई। इसके बाद इंदिरा की मौत के बाद राहुल गांधी ने मानहानि विधेयक लाने की कोशिश की। लेकनि पत्रकारों के इंक़लाबी तेवर देखकर वो अपने क़दम पीछे हटने को मजबूर हो गए। तब प्रियरंजन दासमुंशी उनके बेहद क़रीबी सलाहकारों में से होते थे। अअ यही काम मनमोहन सिंह कर रहे हैं और इस सरकार में फिर प्रियरंजन दासमुंशी शामिल हैं। जब तक लिखने की आज़ादी है- अपन लिख सकते हैं। मनमोहन जी, इंदिरा- संजय और राजीव के फैसले और जनता के फैसले को याद कीजिए और फिर जो मन में आए कीजिए। क्योंकि देश प्रेम तो सिर्फ आप लोगों को ही आता है। हम पत्रकारों का क्या है ?