बाकी राज्यों के साथ दिल्ली में २९ नवंबर को चुनाव होने हैं। ८ दिसंबर को तय हो जाएगा कि दिल्ली का तख़्तो ताज किसके पास होगा ? जनादेश आने से पहले जो जनमत का रूझान मिल रहा है , वो बीजेपी के लिए कतई शुभ नहीं है। हो सकता है कि आख़िरी दौर में मतदाताओं का मन डोल जाए। लेकिन अभी तक के जो संकेत मिल रहे हैं, उससे लौह पुरूष के सपनों पर पानी फिरता दिख रहा है।
नए परिसीमन के बाद दिल्ली के ७० विधानसभा क्षेत्रों के नक्शे में काफी बदलाव हुआ है। कई विधानसभा क्षेत्रों का वजूद ख़त्म हो गया है। कुछ नए नामों के साथ अवतरित हुए हैं। ऐसे में ये चुनाव बेहद अहम है। दिल्ली में घुसने के तमाम रास्तों से अगर आप दाख़िल होंगे तो फिज़ां में बस एक ही बात तैरती नज़र आएगी। ग़ाज़ियाबाद या नोएडा से दिल्ल में एंट्री करते समय बस में कुछ बुज़ुर्गों की कानाफूस- बस , बीजेपी आने ही वाली है। गुड़गांव से दिल्ली में आते समय वही बात- देखते रहिए- बीजेपी , आ रही है। फरीदाबाद से दिल्ली आते समय - वहीं स्वर- बीजेपी तो आ ही गई भैय्या। लेकिन इस तरह की कानाफूसी करनेवालों से पलटकर पूछने पर कि बीजेपी किस रास्ते से आ रही है ? उनके पास बंगले झांकने के अलावा कोई चारा नहीं होता। जो कट्टर समर्थक होते हैं, वो गाल बजा लेते हैं। लेकिन उनके पास न आंकड़ा होता है, न तथ्य। बस एक ही बात की रट-बीजेपी आ रही है।
एक निजी चैनल के सैंपल सर्वे में जहां कहीं से जनमत मिल रहा है, वहां बीजेपी मुंह की खा रही है। हद तो ये हो गई है कि जिन सीटों से कभी बीजेपी को हार का मुंह नहीं देखना पड़ा था। वहां भी चारों काने चित्त दिखाई दे रही है। मिसाल के तौर पर नए परिसीमन के बाद साकेत विधानसभा क्षेत्र ख़्तम कर दिया गया है। इस विधानसभा क्षेत्र का आधा हिस्सा किसी और विधानसभा क्षेत्र के साथ मिलकर संगम विहार और देवली विधानसभा क्षेत्र बन गया है। संगम विहार में बीजेपी को कुछ सौ मतों से जीत मिली तो देवली में बीजेपी तीसरे नंबर पर आई। दूसरे नंबर पर बीएसपी आई है। दिल्ली में इस बार बीएसपी बहुत तेज़ी से उभर कर सामने आ रही है। लोग कहते हैं कि बीएसपी का ताक़तवर होना कांग्रेस के लिए ख़तरे की घंटी है। लेकिन कई विधानसभा क्षेत्रों में देखा गया कि बीएसपी ने सीधे तौर पर बीजेपी को ही चुनौती दी है। उस पर से बीजेपी में कलह। आलाकमान से थोपे गए विजय कुमार मल्होत्रा बीजेपी के बाक़ी नेताओं को नहीं सुहा रहे। हर्षवर्धन को लगता है कि पांच साल तक कितनी मेहनत से बीजेपी के लिए ज़मीन तैयार की, फसल काटने वीके आ गए। यही रोना विजय गोयल का है। इसमे कोई शक़ नहीं कि मदन लाल खुराना की अपनी ज़मीन है। उनके कहने से अब भी पंजाबी मतदाता वहीं वोट डालेंगे, जहां का हुक्न होगा। लेकिन उन्हे भी कोप भवन में भेज दिया गया है। दिल्ली में बीजेपी का वोट बैंक पंजाबी और वैश्य समुदाय खुश नहीं है। गोयल औऱ हर्षवर्धन को किनारे लगाने से ये तबका उपेक्षित महसूस कर रहा है। वैश्य समुदाय ने शीला दीक्षित से मिलकर विधानसभा चुनाव में १७ वैश्य उम्मीदवार उतारने का अनुरोध किया है। बीजेपी पर दबाव इंडियन नेशनल लोकदल और अकाली दल से भी है। दोनों जिस संख्या में सीट मांग रहे हैं, बीजेपी उतना देने का इरादा नहीं रखती।
आतंकवाद और मंहगाई को बीजेपी बहुत बड़ा मुद्दा बनाने में क़ामयाब नहीं हो पाई है। मतदाता मानता है कि आतंकवाद मुद्दा है। लेकिन ये केवल दिल्ली के लिए नहं बल्कि पूरे देश के लिए है। महंगाई मुद्दा है, लेकिन पूरे देश के लिए है। दिल्ली को क्या चाहिए। कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर मिलनेवाले पैसे को दिल्ली के विकास के लिए ख़र्च किए जाए। शीला सरकार ने विकास की जो चमक विज्ञापनों के ज़रिए दी है, उसका काफी हद तक असर मतदाताओं पर हुआ है। लोग आपसी बातचीत में मेट्रो रेल और फ्लाई ओवरों का ज़िक्र कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती शीला दीक्षित हैं। मतदाताओं का अगर बीजेपी ये समझाने में क़ामयाब रहती है कि अगर वो सत्ता में आई तो शीला दीक्षित से भी ज़्यादा तेज़ी से काम करेगी, विकास करेगी। तभी सत्ता सुख संभव है। वरना बीजेपी के लिए राह कांटों भरा है।
6 comments:
शीला जी से पैसे खा कर किया होगा सर्वे
सीलिंग से जितने घर बर्बाद हुये हैं वो लोग भूले नहीं है, चुनाव होने दो, देखना कौन जीतता है
किसी हालत में भी इन्हें वापस नहीं आना चाहिए. जनता के पैसे को बेदर्दी से विज्ञापनों पर खर्च करके रोज अखबारों में अपनी तस्वीर दिखा कर जो अन्याय इन्होनें हम पर लिया है उस से निजात मिलनी चाहिए.
मुझे तो बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि आप सभी चैनलों के सर्वे में बार बार लगातार झूठे बनावटी और अपने मनमुताबिक निकाले गये गप्प सड़ाका साबित हुये हैं कि अब हमें इन पर हंसी भी नहीं आती. कोई भी चुनाव हो हर चैनलों के सर्वे गलत, एकदम गलत ही साबित हुये हैं
लेकिन आपको इतनी जगह ठोकरें खाने के बाद अपने सर्वे को भजने में शर्म नहीं आती?
कभी तो चुप भी बैठा करो भाई
दिल्ली में वोट और कांग्रेस को, शीला दीक्षित को??????
अलीबाग से आये हो क्या?
आपका सर्वे अविश्वसनीय है
शायद आफिस में बैठ कर कर लिया होगा लेकिन आगे से जब भी आफिस में बैठ कर एसे सर्वे करें तो शराब न पीया करें.
sir ye log kaise-kaise cmnt de rahe hai
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