आतंकवादी घटनाएं कभी शुभ नहीं होती। लेकिन आतंकवादी घटनाओं के बाद कई बातें खुलकर समाने आ जाती हैं। मसलन, दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुलासा किया कि उनके पास इस तरह की जानकारी पहले से ही थी। उन्होने इस बारे में पहले ही प्रधानमंत्री , गृह मंत्री औऱ रक्षा मंत्री को आगाह कर दिया था। लेकिन गुजरात धमाकों से केंद्र सरकार ने कोई सबक नहीं लिया हैं। नकेंद्र मोदी के ये आरोप सच हैं या नहीं , ये अभी पता पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है कि आतंकवादी घटनाओं के बाद ख़ुफिया एजेंसियों के काम काज को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं, जो पहले भी होते रहे हैं। फ़र्क़ इतना है कि पहले विपक्ष आरोप लगाता था कि ख़ुफिया एजेंसी नाकाम रही है। इस बार मनमोहन सरकार के मंत्री लालू प्रसाद ने ही इसे खुफिया एजेंसियों को दो कौड़ी का बता दिया है। खुफिया एजेंसी गृह मंत्रालय के मातहत है। यानी सारी ग़लती गृहमंत्री शिवराज पाटिल के सिर पर। ये वो सच्चाई है, जो बम धमाकों के गुबार से छंटकर दिखने लगी है।
बम धमाकों के बाद ऐसी ही सच्चाई टीवी न्यूज़ चैनलों की निकलकर सामने आई है। करोड़ों –अरबों का सेटअप लगाकर दर्जनों चैनल चल रहे हैं। ख़बरों के दुनिया के महापराक्रमी इन चैनलों को चला रहे हैं। अपने प्रोमो में ये साबित करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते कि बाक़ी के सारे चैनल पिद्दी हैं। बस वही महान हैं। वो अपंरपार हैं। उनके पास महाभारतकालीन संजय की आंखें हैं। उनके पास विदपर जैसे नीति निर्धारक हैं। उनके पास दुनिया की सबसे मॉर्डन टेक्नोलॉजी है। दुनिया के सबसे महंगे इक्यिपमेंट हैं। देश –दुनिया के सबसे पराक्रमी, तेजस्वी, ओजस्वी उर्जावान, प्रकांड विद्वान, जोश-होश और अनुभव से लबरेज़ टीम है। वो देश –दुनिया की किसी भी ख़बर को फटाफट, पलक झपकते ही आप तक पहुंचा देंगे। इस दावे के साथ ये तमाम प्राक्रमी योद्धा सड़कों पर होर्डिंग लगाते हैं। बस और मेट्रो स्टेशनों पर विज्ञापन लगवाते हैं। सबके अलग –अलग चमकदार मुआवरे हैं। कोई कहता है कि सब भ्रम है। कोई कहता है – हक़ीक़त जैसी, ख़बर वैसी। कोई कहता है खबर हमारी पैसला आपका। ख़बरों की दुनिया में चमत्कार लानेवाले महान योद्धा ख़बरों को छुरी बनाकर अंधरे को चीरते हैं ताकि दर्शकों को सच्चाई की रौशनी दिखे।
लेकिन जब दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के बाराखंबा रोड पर आतंकवादियों ने धमाके किए , तब सारे न्यूज़ चैनलों के दावों के चीथड़े उड़ गए। अमेरिका, इंग्लैंड , फ्रांस, इज़राइल और न जाने कैसे देशों से ग्राफिक्स और लुक्स बनवानेवालों के चैनलों पर बस एक ही चैनल दिख रहा था। हर तरफ टोटल ही टोटल था। क्या इंडिया टीवी, क्या स्टार न्यूज़, क्या आईबीएन और क्या न्यूज़ 24। यहां तक का देश का पहला प्राइवेट चैनल ज़ीन ने भी बड़ी उदारता के साथ टोटल टीवी में दिखाई जा रही तस्वीरों को दर्शकों तक दिखाया। सिर्फ यही नहीं, तस्वीरों तक गनीमत थी। भाई लोगों ने टोटल टीवी के न्यूज़ एंकर को भी दिखाया। ग़लती का अहसास होते ही लपभर में उसे सुधारा। हमारे रिपोर्टरों की पलटन की ख़बरों को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझकर ख़ूब दिखाया। मनीष मासूम, अमित शुक्ला, विवेक सिन्हा, मधुरेंद्र कुमार, रोहिल पुरी, रमन ममगई, विवेक वाजपेयी, संदीप मिश्र, लोकेश सिंह, शमां क़ुरैशी और दिल्ली के कोने-कोने में पैले हमारे संवाददाताओं की रिपोर्ट की उदार उद्दत बाव से दिखाया। रिपोर्टरों की पीटीसी को भी दिखाने से गुरेज़ नहीं किया। हमारे रिपोर्टर टोटल टीवी के गन माइक के साथ घायलों की मदद भी करते रहे। साथ ही ये अपने काम के ज़रिए ये जताते भी रहे है कि महंगे इक्विपमेंट्स, टेक्नोलॉजी, ग्राफिक्स, लुक्स, प्रकांडता और अहंकार के बग़ैर भी टीवी पत्रकारिता की जा सकती है। ये ज्ञान इस आदमी के समझ में ज़रूर आ जानी चाहिए जो अपनी टीम से बड़ी शान से कहता है कि अरे, उनकी तरह मत करो यार। बेचारा, अपनी दुकान चलाने के लिए सारे हथियारों का ताक पर रखकर घंटों टोटल टीवी का फुटेज भीख में मांग कर चलाने को मजबूर हुआ।
1 comment:
हैलो सर...मैं अभिजीत...पहचाना मुझे आपने...और कैसे हैं...जो भी एक बात तो कहना चाहूंगा कि टोटल टीवी को सिर्फ मैं ही नहीं यहां काम कर चुके लोग काफी मिस करते हैं.....लेकिन माहौल काफी बिगड़ता जा रहा है...एक वो समय था और एक ये ...
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