Wednesday, November 7, 2007

मित्रों, फिर आई है दीवाली। इस दीवाली में मुझे एक पुराना मुखड़ा याद पड़ा। सोचा , क्यों न दीवाली के बहाने अपने मित्रों को इस गीत की फिर से याद दिला दूं। हरियाली और रास्ता फिल्म में मुकेश औऱ लता मंगेशकर ने इसे गाया था। शायद , ये गीत दिल के उस कोने को छू जाए, जहां अब भी कोई टीस हो। बोल कुछ इस तरह से हैं....

मुकेश-
लाखों तारे आसमान में
एक मगर ढूंढे ना मिला
देखें दुनिया की दीवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
लता-
लाखों तारे आसमान में
एक मगर ढूढें ना मिला
एक मगर ढूंढे ना मिला
मुकेश
क़िस्मत का है
नाम मगर है
कम है ये दुनियवालों का
फूंक दिया है चमन हमारे ख़्वाबों औऱ ख़्यालों का
जी करता है ख़ुद ही घोंट दें
अपने अरमानों का गला
देखें दुनिया की दीवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप
लता
सौ सौ सदियों से लंबी ये
ग़म की रात नहीं ढलती
इस अंधियारे के आगे अब
ऐ दिल की एक नहीं चलती
हंसते ही लुट गई चांदनी
और उठते ही चांद ढला
देखें दुनिया की दीवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
मुकेश
मौत है बेहतर इस हालत से
नाम है जिसका मजबूरी
लता
कौन मुसाफिर तय कर पाया
दिल से दिल की ये दूरी
मुकेश
कांटों ही कांटों से गुज़रा
जो राही इस राह चला
देखें दुनिया की ये दीवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
लता
लाखों तारे आसमान में
एक मगर ढूंढे ना मिला
देखें दुनिया की दीवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

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