tag:blogger.com,1999:blog-1239897313559897574.post4171797907494609687..comments2023-10-30T05:15:36.305-07:00Comments on चंदन प्रताप सिंह: इ है शिव की नगरिया , तू देख बबुआUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1239897313559897574.post-62681713297168524682007-08-25T05:47:00.000-07:002007-08-25T05:47:00.000-07:00हाल ही में बनारस के दौरे के दौरान मैंने ईमेल देखने...हाल ही में बनारस के दौरे के दौरान मैंने ईमेल देखने/करने के लिए कई इण्टरनेट कैफों की खाक छानी। लेकिन हिन्दी, संस्कृत के इस "राष्ट्रीय केन्द्र" का गढ़-नगर में किसी के भी कम्यूटरों में हिन्दी इन्स्टॉल/एक्टिवेटेड नहीं पाई गई, जबकि चीनी, जापानी, हिब्रू, तथा अनेक यूरोपियन भाषाएँ इन्स्टॉल्ड पाई गई। पूछा- तो कैफे के मालिकों ने यों बताया-- <BR/><B> अजी यहाँ विदेशी यात्री बहुत आते हैं, उनकी मांग पर लगाया गया है। लेकिन हिन्दी तो कोई मांगता ही नहीं। आप ही पहले व्यक्ति हैं।</B> और एक कैफेवाले ने तो आश्चर्य से पूछा -- <B> क्या इण्टरनेट और ई-मेल भी हिन्दी में हो सकता है? </B>हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.com