Thursday, July 12, 2007

हड़बड़ी और गड़बड़ी

हम सभी अपने अपने काम में लगे थे। अचानक न्यूज़ रूम में हड़कंप मच गया। रिपोर्टर ने ख़बर फ्लैश की थी- संसद पर आतंकवादी हमला। पल भर में न्यूज़ रूम में अफ़रा तफरी का माहौल। हम सभी पीसीआर( प्रोडक्शन कंट्रोल रूम ) भागे। समाचार संपादक अपने रिपोर्टर पर बरसने लगा। फौरन वॉकथ्रू करके भेजो। सबसे तेज़ होना है। रिपोर्टर फौरन संसद भागा। फोन पर वो बताने लगा। संसद में कई आतंकवादी घुस आए है। दनादन गोलियां दाग रहे हैं। सुरक्षाकर्मी भी इधर उधर भाग रहे हैं। सभी नेता सुरक्षित है। कुछ नेता फलां मंत्री के कमरे में छिपे हैं। फिर ख़बर आई। सुरक्षाकर्मियों ने आंतकवादियों को घर लिया है। बच के निकलना उनका मुश्किल है। संसद के अंदर जान बचाते भागे भागे फिर रहे नेताओ के फ़ोन पल भर में आन हो गए। वो भी बताने लगे कि अंदर क्या हो रहा है। दोपहर बाद ख़बर आनी शुरू हो गई - एक एक कर आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। संसद से टेप आने लगा था। उस पर आदर्शवादी पत्रकारिता की मुहर लाइव का बग लिखकर दिखाया जाने लगा। रिपोर्टर ने फोन पर चहक कर बताया। सभी आतंकवादी मारे जा चुके हैं। वो आख़िरी सीन था- जब असलहों से लदे बैग को लेकर एक आतंकवादी गिर पड़ा औऱ सुरक्षाकर्मियों की गोलियां उसे छलनी कर रही थीं। संपादक बार बार अपने रिपोर्टर को कह रहा था- संभल कर रहना। एहतियात बरतना। इस भागमभाग में किसी ने उस कैमरामैन की सुध नहीं ली , जो जान पर खेलकर रीयल लाइफ़ को रील लाइफ में बना रहा था। थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया। एक समाजवादी नेता अपनी नई पजेरो कार को दिखा कर बता रहे थे- गोलियों से गाड़ी कैसे छलनी हो गई है। लेकिन चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। देश के नाम लाखों रूपयों की गाड़ी क़ुर्बान करने की। तभी पीसीआर में फोन की घंटी घनघना उटती है। कैमरामैन चीख पड़ता है- आतंकवादियों के चेहरे की तस्वीर सिर्फ उसी ने क़ैद की है। दोपहर में ही वो फुटेज भेज चुका है। फिर वो शॉट क्यों नहीं दिखा रहे। इतने सुनते ही फिर से भागमभाग शुरू हो गई। आपरेशन- टेप खोजो अभियान। बॉस सबको गालियां बक रहा था। किसी को एक्सक्लूसिव फुटेज की अहमियत नहीं नहीं मालूम। ये फुटेज दिखाकर चैनल रातों रात बुलंदी छू सकता है। तभी चपरासी भागते हुए टेप लेकर आता है। सर- ये टेप। बॉस फिर उबल पड़ता है। ये टेप किसके पास से मिली। उसे लात मार कर आफिस से निकाल दो। उसे फुटेज की अमहमियत नहीं मालूम। उसे ख़बर की तमीज़ नहीं। चपरासी घिघयाते हुए सफाई देता है- सर , ये आपके टेबल से लेकर आ रहा हूं। बॉस हक्का बक्का। फिर संभला। बस इतना ही कहा- ख़बर आते ही वो ख़ुद पर कंट्रोल नहीं रख पाए। पीसीआर औऱ न्यूज़ रूम के बीच भागमभाग करते रहे। ऐसे प्रेशर में उन्हे ये टेप कब औऱ कैसे दे गया- याद नहीं रहा। वो पीसीआर से बाहर निकलते हुए आदेश दे गए- ये एक्सक्लूसिव फुटेज सभी चैनलों को दो। ये देश हित में है। सभी एक दूसरे का चेहरा ताक रहे थे।

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